Saturday, May 28, 2011

जीवन संगिनी

जीवन का एहसास तुम्ही से, चलने की है चाह तुम्ही से
अधरों मैं मुस्कान तुम्ही से, जीवन मैं है गान तुम्ही से
तुम हो चंचल, चितवन पावन कितनी प्यारी मस्तानी हो
इन आँखों का चैन तुम्ही हो, जीवन का आराम तुम्ही से
कितना प्यारा साथ तुम्हारा, जैसे निर्मल जल की धारा
ऋतुओं का है ज्ञान तुम्ही से, जीवन का आराम तुम्ही से
धड़कन की आवाज़ तुम्ही हो, सारा जीवन साथ तुम्ही हो
गंगा का भी भाव तुम्ही हो, गर्मी मे भी छाव तुम्ही हो
मेरे मन मंदिर में बैठी देवी का श्रंगार हो तुम
इतनी निर्मल इतनी पावन लक्ष्मी का अवतार हो तुम

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