Tuesday, May 3, 2011

चलो दिल्ली- चल्लो दिल्ली

 देश है पुकारता, बलिदान तेरा माँगता
अतीत को तू भूल जा, न तू कभी गुलाम था
माँ तेरी लाचार है, भूखी है बीमार है
बेबस हर इंसान है, नशे मैं संतान है
कैसा तू सपूत है, कर रहा तू चूक है
जात पात भूल जा, तू ऊंच नीच छोड़ दे
कल तुझे आवाज़ दे, आराम को तू त्याग ले
घनी अँधेरी रात क्या, तू काल को भी भेद ले
मन मैं जो ठान ले, खैर किसकी रोक ले,
भगत का तुम जोश हो, मनु का बलिदान है
दुर्गा तू शूल है, राम का तू  बाण है
माँ तुझे पुकारती, बलिदान तेरा माँगती
कर रहा एतबार है, ये बाबा (रामदेव) की पुकार है
४, जून दिनाँक का, बेसब्र इंतज़ार है
माता की पहचान बन, वीर बलवान बन
होने वाला संग्राम है, ये राम (बाबा रामदेव) का एलान है
कहना नहीं कुछ शेष है, बस एक बात विशेष है
बहुत हो गया माँ भारती का सीना छल्ली छल्ली
४, जून को चलो दिल्ली, चलो दिल्ली............

1 comment:

  1. Hi Anshul..got to know about your blog from Anchal..you are writing too good...both your poems are very inspiring..keep the poems flowing :)...Rajeshwari

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